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कर्नाटक में क्रिकेट मैच के दौरान ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे पर युवक की पीट-पीटकर हत्या

कर्नाटक के मंगलुरु में क्रिकेट मैच के दौरान एक युवक द्वारा कथित रूप से ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने पर भीड़ ने उसकी बेरहमी से पिटाई कर दी, जिससे उसकी मौत हो गई। यह दर्दनाक घटना रविवार, 27 अप्रैल को भाटरा कल्लुर्ति मंदिर के पास कुदुपु इलाके में हुई।
पुलिस ने इस मामले में अब तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया है और हत्या व भीड़ हिंसा के आरोपों में मामला दर्ज कर लिया गया है। यह घटना समाज में असहिष्णुता की भयावह तस्वीर पेश करती है, जहां एक नारों के चलते किसी की जान तक जा सकती है।
घटना कैसे शुरू हुई?
घटना के दौरान एक स्थानीय क्रिकेट टूर्नामेंट चल रहा था जिसमें 10 से अधिक टीमें और 100 से ज्यादा खिलाड़ी भाग ले रहे थे। मैच के दौरान एक युवक ने कथित तौर पर ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाया जिससे वहां मौजूद लोग आक्रोशित हो उठे।
स्थानीय निवासी 26 वर्षीय सचिन ने सबसे पहले उस युवक का विरोध किया, जो देखते ही देखते मारपीट में बदल गया। कुछ लोगों ने युवक को बचाने की कोशिश की लेकिन भीड़ में मौजूद कई लोगों ने उसे लाठियों से पीटना शुरू कर दिया और लात-घूंसे मारे। यह हिंसा इतनी बेकाबू हो गई कि पीड़ित की मौके पर ही मौत हो गई।
पुलिस और पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
शाम करीब 5:30 बजे युवक का शव मंदिर के पास पड़ा मिला, जिसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। शुरुआत में पुलिस को लगा कि मौत प्राकृतिक कारणों से हुई है क्योंकि शरीर पर कोई गंभीर बाहरी घाव नहीं थे।
हालांकि, जब शव को वैनलॉक जिला अस्पताल में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया तो रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि उसकी मौत पीठ पर अंदरूनी चोटों और रक्तस्राव के कारण हुई है। डंडों से पीटने के निशान पीठ, हाथ-पैर, नितंब और निजी अंगों पर पाए गए।
मंगलुरु पुलिस आयुक्त अनुपम अग्रवाल ने इसे “बर्बर और चौंकाने वाला” करार दिया और कहा कि समय पर चिकित्सा सहायता मिलने पर युवक की जान बच सकती थी।
सरकार का बयान और कानूनी कार्रवाई
कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि कानून अपना काम करेगा और किसी को भी खुद कानून हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
चूंकि यह मामला भीड़ हिंसा का है और हमलावरों की संख्या पांच से अधिक है, इसलिए इसे भारतीय न्याय संहिता (Bharatiya Nyaya Sanhita) की धारा 103(2) के तहत दर्ज किया गया है। यह धारा विशेष रूप से मॉब लिंचिंग यानी भीड़ द्वारा हत्या के मामलों पर लागू होती है, जिसमें दोषियों को आजीवन कारावास या मृत्युदंड तक हो सकता है।
समुदाय में तनाव, सोशल मीडिया पर बहस
घटना के बाद पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया है और सोशल मीडिया पर भी इसको लेकर बहस छिड़ी हुई है। हालांकि पुलिस ने अभी तक पीड़ित की पृष्ठभूमि या समुदाय के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी है।
यह मामला सिर्फ एक हत्या का नहीं, बल्कि सामाजिक सहिष्णुता, भीड़ की मानसिकता और संवैधानिक प्रक्रिया पर एक गहरा प्रश्नचिन्ह है।